एक भुजंग, एक दादुर
भुजंग क्षुधा आतुर
दादुर बंदी यतमान
भीत भ्रांत भौरान
संफेट का नहीं प्रश्न
बस निगीर्ण प्राण
ना उल्लाप ना आह
विधि का विधान
एक वरिष्ठ, एक कनिष्ठ
वरिष्ठ का रौरव नाद
कनिष्ट प्रनर्तित,
नाशाद
वश्य, विकल्पित, विकांक्ष
अवधूत, यंत्रित,
निर्वाद
पर-भार से लादमलाद
अभीप्सित सतत परंपद
बर्बाद, जीवन आबाद
एक ग्रह, एक लघु-पिंड
ग्रह-गुरुता का
अहर्निश प्रहार
लघु-पिंड, बलाकर्षित
लाचार
निरुपाय, निरवलंब, निराधार
निरुपाय, निरवलंब, निराधार
सदैव सचिंत मुक्ति आकुल
अस्तित्व भय दुनिर्वार
अस्तित्व भय दुनिर्वार
सकल व्योम में यही
खेल
इस पार, उस पार
(निहार रंजन,
सेंट्रल, ५ जुलाई २०१३)
भौरान = भौंराया हुआ
संफेट = तकरार
निगीर्ण = जो निगला गया हो
रौरव = भीषण
प्रनर्तित = जिसे नृत्य कराया गया हो
दुनिर्वार = जिसका निवारण ना किया जा सके
संफेट = तकरार
निगीर्ण = जो निगला गया हो
रौरव = भीषण
प्रनर्तित = जिसे नृत्य कराया गया हो
दुनिर्वार = जिसका निवारण ना किया जा सके